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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने हाल ही में रिटेल डायरेक्ट वेबसाइट शुरू की है। इस वेबसाइट के जरिए आप डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। पहले बॉन्ड खरीदने के लिए लाखों रु. के इन्वेस्टमेंट की जरूरत पड़ती थी और ये आम आदमी की पहुंच से बाहर था लेकिन RBI की रिटेल डायरेक्ट वेबासाइट के जरिए अब 10 हजार रु. से भी बॉन्ड खरीदा जा सकता है। बैंक में फिक्सड डिपॉजिट अब (Fixed deposite) फायदे का सौदा नहीं रहा। खासतौर पर ऐसे लोग जो ब्याज की रकम पर ज्यादा निर्भर रहते हैं। ऐसे में दूसरे स्रोतों (Sources) से ब्याज की कमाई बरकरार रखी जा सकती है। बॉन्ड में निवेश करना उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है, जिनकी कमाई ब्याज की राशि पर ही निर्भर रहती है। जानिए कैसे खरीद सकते हैं बॉन्ड और कैसे मिलेगा फायदा?
बॉन्ड में दो तरीके से निवेश कर सकते हैं डायरेक्ट और इन डायरेक्ट
बॉन्ड में डायरेक्ट तरीके से निवेश करने के लिए आरबीआई ने रिटेल डायरेक्ट वेबसाइट https://www.rbiretaildirect.org.in/ बनाई है। इस वेबसाइट पर अकाउंट ओपन कर सीधे केंद्र और राज्य सरकार के बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं। किसी भी बॉन्ड ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए बैंक और कंपनियों के बॉन्ड खरीद और बेच सकते हैं। ख्याल रखना होगा कि अच्छे बॉन्ड पर ब्याज मिलना तय है, लेकिन मार्केट में बॉन्ड की कीमतें घटती और बढ़ती रहती है।
म्यूचुअल फंड से निवेश कर सकते हैं
बॉन्ड में इनडायरेक्ट तरीके से निवेश करने का आसान तरीका है म्यूचुअल फंड। यदि बैंक डिपॉजिट जैसा रिटर्न और रिस्क नहीं चाहिए तो लिक्विड फंड खरीदा जा सकता है। 9 से 10% रिटर्न की उम्मीद रखने वाले निवेशकों को लॉन्ग टर्म बॉन्ड फंड या डायनामिक बॉन्ड फंड में निवेश करना चाहिए। सरकारी बॉन्ड के लिए गिल्ट फंड ले सकते हैं और कंपनियों के बॉन्ड के लिए कॉर्पोरेट फंड ले सकते हैं।
अब बॉन्ड क्या है ये कौन जारी करता है, कौन से बॉन्ड की रेटिंग अच्छी है और इसकी कितनी अवधि हो सकती है ये तमाम बातें जानना भी जरूरी है...
बॉन्ड क्या है?
बॉन्ड एक लोन है, जिसके जरिए सरकार और कंपनियां बाजार से कर्ज लेती हैं, कर्जदाता को नियमित रूप से ब्याज मिलता है। बॉन्ड को खरीदा और बेचा भी जा सकता है। बॉन्डधारक अपना बॉन्ड बेच सकते हैं, और किसी दूसरे से बॉन्ड खरीद भी सकते हैं। बॉन्ड की समयावधि पूरी होने पर कर्जदार को पूरा पैसा लौटाया जाता है।
बॉन्ड कौन जारी करता है?
केंद्र और राज्य सरकारें और कंपनियां बॉन्ड जारी करती हैं। केंद्र सरकार की तरफ से जारी किए गए बॉन्ड को गवर्नमेंट सिक्योरिटी कहा जाता है । राज्य सरकारों की तरफ से जारी बॉन्ड को राज्य विकास ऋण( STATE DEVELOPMENT LOAN कहते हैं। इसके अलावा कंपनियां जो बॉन्ड जारी करती है उसे कॉरपोरेट बॉन्ड कहते हैं।
बॉन्ड रेटिंग क्या होती है?
जो कंपनियां मार्केट से उधार लेती है उनकी उधार चुका पाने की क्षमता से रेटिंग तय होती है। जिन कंपनियों का नकद प्रवाह यानी कैश फ्लो और व्यापार अच्छा होता है, उन्हें उधार चुकाने में दिक्कत नहीं होती है। जिसकी कर्ज चुकाने की कैपेसिटी अधिक होगी, उसकी क्रेडिट रेटिंग उतनी ही अच्छी होगी। रेटिंग एजेंसियां आंकलन कर ये रेटिंग जारी करती हैं।
यील्ड क्या होता है?
यील्ड यानी बॉन्ड पर मिलने वाला मुनाफा है। यील्ड दो तरह के होते हैं। एक कूपन रेट, जिसे ब्याज दर भी कह सकते हैं। यह दर फिक्स्ड या फ्लोटिंग हो सकती हैं। दूसरा, बॉन्ड का दाम जो मार्केट गतिविधियों से प्रभावित हो कम या ज्यादा हो सकता है।
बॉन्ड अवधि क्या होती है?
अलग-अलग बॉन्ड की ब्याज दरें और अवधियां भी अलग-अलग होती हैं। ट्रेजरी बिल्स की अवधि 9, 182 और 364 दिन होती है। कुछ बॉन्ड 5, 10, या 40 साल के भी होते हैं। गोल्ड बॉन्ड 8 साल का है। कुछ बॉन्ड निरंतर होते हैं।इस बात का ख्याल रखना जरूरी है कि बॉन्ड की अवधि जितनी लम्बी होगी, उनके दामों में उतना ज्यादा उतार-चढ़ाव हो सकता है।
ब्याज दर बढ़ने पर बॉन्ड सस्ता, घटने पर महंगा
बॉन्ड, सस्ता या महंगा ब्याज दर पर निर्भर करता है। मान लीजिए आपने 10% ब्याज पर 1000 रुपए का बॉन्ड लिया है। इससे सालाना 100 रुपए ब्याज मिलेगा । यदि दर 11% हो गई तो नए बॉन्ड इसी निवेश पर 110 रुपए ब्याज देंगे। निवेशक पुराने बॉन्ड के बजाय नया बॉन्ड पसंद करेंगे। ऐसे में उसे नया बॉन्ड लेना है तो पुराना बॉन्ड सस्ते में बेचना पड़ेगा।
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